गुरुजनों की भी नहीं,छूते हैं चरण कभी,कहीं दूर जाने वक्त, कहते हैं गुड-वाय। बड़ों को प्रणाम हेतुजोड़ते हैं हाथ नहीं,एक दूसरे को लोग, करते हैं हेलो-हाय। माता-पिता की भी लोगकरते…
वंदनवार सजे शारदा – कुंडलिया छंद – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
पेड़ लगा मां के नाम से, होंगे जग में नाम। उनके ही नेपथ्य में, पाना चिर विश्राम।। पाना चिर विश्राम, जगत में स्वर्ग मिलेगा। श्रम सुंदर तालाब के, पंक में…
अब भी यूं रुका क्यों है -डॉ स्नेहलता द्विवेदी
तू अब भी यूँ रुका क्यूँ है? गुलाब कांटों से यूँ लगा क्यूँ है ? जिंदगी तेरा ये फ़लसफ़ा क्यूँ है? जो मुस्कराते हो शबनम की तरह, पलकों का रंग…
देश हमारा -राम किशोर पाठक
देश हमारा हरपल आगे। भारत वासी जब-जब जागे।। आदर देते हम-सब आएँ। भारत माँ की जय-जय गाएँ।। देव यहीं भूतल पर आते। धन्य धरा को कर सब जाते।। भूतल है…
पेड़- गिरीन्द्र मोहन झा
पेड़ बीज को अंकुरित होने में भी लगता है संघर्ष, पौधे धीरे-धीरे बढ़कर हो जाते हैं पेड़, यह पतझड़-वसंत-ग्रीष्म-वृष्टि-शीत, सबको सहता है, सबका आनंद लेता है, उचित समय के अनुसार,…
महामानव -जैनेंद्र प्रसाद
महामानव पाकर भी ऊँचा पद- मिलता नहीं है यश, कई ऐसे गुमनाम, होते हैं यहांँ इंसान। घर से निकल कर- अपने ही बल पर, कुछ लोग दुनिया में, बनाते हैं…
हिंदी भाषा की गरिमा – राम किशोर पाठक
हिंदी भाषा की गरिमा को, उच्च शिखर पहुँचाना होगा। हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।। रामचरित रचकर तुलसी मान बढ़ाएँ। हिंदी भाषा की गरिमा को अपनाएँ।। घर-घर…
एक पेड़ माँ के नाम
आओ हम सब मिलकर करें, एक काम । चलो लगाते हैं ”एक पेड़ माँ के नाम”।। छाँव देते इसके पत्ते, लगते माँ के आँचल जैसे । याद आती…
यह देश है उन मतवालों का -बिंदु अग्रवाल
यह देश है उन मतवालों का यह देश है उन रखवालों का आजादी के मातवालों का, रखने को शान तिरंगे की जिन लोगों ने जान गवांई है। कोड़े खाए नंगे…
निःशब्द सौंदर्य – बिंदु अग्रवाल
वह अनुपम अद्वितीय यौवना सिर पर पत्थरों का भार लिए एक हाथ से अपने आँचल को संभालती। हिरनी सी सजल आँखे उसकी विवशता को दर्शाती, सजने सँवरने के दिन, नैन…