मनहरण घनाक्षरी (कैसी ये पहेलियाँ) पतझड़ में पत्तियां, दूर चली उड़कर, शांत मौन नभचर,सूनी-सूनी डालियाँ। कलियाँ भी मुर्झाकर, बिखरी है सूख कर, मंडराता मधुकर,अब कहाँ क्यारियाँ। चमन उजड़ गया, उड़…
धोखे से बचाता हूँ – एस.के.पूनम।
कृष्णाय नमः मनहरण घनाक्षरी (धोखे से बचाता हूँ ) चलें चल पाठशाला, देखो खुल गया ताला, गुरु खड़े द्वार पर,उनको बुलाता हूँ। वर्णमाला सीखकर, गोल-गोल लिखकर, दादा-दादी नाना-नानी,सभी को लुभाता…
मतदान अवश्य कीजिए – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
लोकतंत्र का पावन पर्व, राय अपनी दीजिए। राष्ट्रहित में अवश्य अपना,अंश निश्चित कीजिए। बनिए मत सिर्फ मूक दर्शक, फैसला अब लीजिए। काम करें जो राष्ट्रहित में,मत उसे ही दीजिए।। किन्हीं…
लोकतंत्र का यह महापर्व- सुरेश कुमार गौरव
लोकतंत्र की यह पहचान है, जनता से चुनी जाती सरकार जनता तब-तब चुनती है, जब जब पड़ती इसकी दरकार पंचवर्ष बाद इस महापर्व में, बहुदलों के नेताओं की प्रकार जिसको…
पहले करें मतदान – नीतू रानी
लोकतंत्र का महान पर्व। विषय -मतदान शीर्षक – पहले करें मतदान। पहले करें मतदान, फिर करें जलपान। जैसे पूरा अठारह साल, वोट देने को हो जाईए तैयार। जो सुने जनता…
प्रकृति हुई हैरान – एस.के.पूनम।
चल रही गर्म हवा, पशु पंछी हलकान, नीड़ में दुबक गए,गगन भी सुनसान। हिम भी पिघल कर, उड़ गए वाष्प बन, नदियाँ भी सूख गईं,जलचर परेशान। कीचड़ भी सूख कर,…
बच्चों का पालन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद:- जलहरण घनाक्षरी उचित माहौल बीच, बच्चों का पालन करें, उसका असर आगे, होता परिवार पर। मित्र-सहपाठी संग, कहां होता आना-जाना, हमेशा नजर रखें, संगत-संस्कार पर। खान-पान शिक्षा-ज्ञान, इसका भी…
Taking Care of Mother Earth – Ashish K Pathak
Taking Care of Mother Earth (Haiku Poem) ReSurrect ReView ReDuce ReCycle ReUse World Earth Day Today tribute through Haiku poetry Ashish K Pathak Assistant Teacher Middle school Sarha Dharhara Munger…
हनुमान जी का पराक्रम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
🌹प्रभाती पुष्प🌹 हनुमान जी का पराक्रम छंद:- जलहरण घनाक्षरी राम जी का कहा मान, बचाया लखन प्राण, तुरत ही धौला गिरी, उठा लिया करतल। लंकापति रावण ने, अवरूद्ध किया रास्ता,…
मनहरण घनाक्षरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद:- मनहरण घनाक्षरी नदी बीच बिना चीर कभी ना नहाना नीर, सबक सिखाते हमें, सांवला सांवरिया। प्यार को जगाने हेतु राधा को रिझाने हेतु, छिपके कंकड़ मार, फोड़ते गगरिया। सभा…