दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

होली कहती है सदा, रखिए नेह मिठास। यही पर्व का सार है, यही सुखद-आभास।। भेद-भाव को भूलकर, खेलें होली आज। समता के संदेश से, रखिए सुखी समाज।। द्वेष दंभ की…

होली -दीपा वर्मा

आया होली का त्योहार, फिर एक बार लाया रंगो की बौछार। नहीं अपने परायो की दरकार, आज है बस हमे रंगो से सरोकार। नाचेंगे-गाएंगे धूम मचाएंगे,पूए पकवान खाएंगे, खूब गुलाल…

होली – संजय

क्या ये ही होली है ? मितवन ये बतला तू जरा, कि , क्या ये ही होली है ? गेहूँ की बलियाँ झूम झूम, हवा के संग जब नाचे लगी,…

होली का संदेश – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

होली का संदेश प्रेम भाईचारा ले के होली का त्यौहार आता, गिले-शिकवे को भूल, खुशियां मनाइए। विरोधी के घर जाएं होली की बधाई देने, पड़ोसी और दोस्तों को, घर पे…

झांके प्रीत की झोली- एस.के.पूनम

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 मनहरण घनाक्षरी होली अंक(झांके प्रीत की झोली) आओ दोस्तों मेरे संग, नहीं करे कोई तंग, भाल पर मले रंग,संग में खेली होली। भांग रस पीले यार, लग…

दिखता उल्लास है – एस.के.पूनम

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 मनहरण घनाक्षरी कदंब की डाली पर, कान्हा बैठे छुपकर, राधारानी ढ़ूंढ रहीं,सखियाँ उदास है। रंगों का त्योहार आया, चहूँओर हर्ष लाया, बाल-सखा दौड़ पडे,मिलन भी खास है।…

गोकुल की होली – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

प्रभाती पुष्प अबीर गुलाल संग रंगो की बौछार होती, कैसी होती लठ्ठमार, गोकुल की होली है। गोकुल की ग्वालों पर लाठियां है बरसातीं, होलीयारिन बन के, गोपियों की टोली है।…