हिन्दी दिवस – Deepa verma

—हिन्दी दिवस— हिन्दी सिर्फ एक भाषा नहीं, निरंतर आगे बढने की आशा है। विश्व के रंगमंच तक पहुंची, देश के एकता की पहचान है। विभिन्न सभ्यता और संस्कृतियों को जोड़ती,…

माँ सी हिंदी – Ruchika

माँ सी हिंदी हर बार हमारी  अस्मिता की पहचान बनी। जब कभी जुबा फिसली यही हमारा सम्मान बनी। नही सोचती क्या है मानक बस भावों की अभिव्यक्ति हो सहज सरल…

वाह री! हिंदी कहां चली – Sangita kumari

राष्ट्रीय हिंदी दिवस  वाह री! हिंदी कहां चली। अपनी ही माटी को छोड़ चली।  घर-आंगन में झंकार थी तेरी, गांव-गांव में पुकार थी तेरी। हर घर में तेरी ही निशानियां, …

हिंदी दिवस – रुचिका

कभी इनकार में कभी इकरार में कभी डाँट में कभी फटकार में कभी प्यार में कभी मनुहार में कभी जज़्बातों के ढेरों गुबार में हिंदी हर घड़ी हमारे साथ है।…

ऐसी हो अपनी हिन्दी – Devendra Kumar Choudhary

ऐसी हो अपनी हिन्दी ………………………. ऐसी हो अपनी हिन्दी कि इंसान में इंसानियत बची रहे दादी की कहानियाँ गूगल से भी गहरी सच्चाई बनें ऐसी हो अपनी हिन्दी जैसे बारिश…

आत्मकथा – Mohan Murari

आत्मकथा छिन गई  आवाज़ अपनी, कट गई जिह्वा मेरी। वह लेखनी भी साथ नहीं अब, जो लिख सके कुछ बात सही। परिचय की मोहताज़ नहीं मैं, फिर भी अपनी जन्मभूमि…