सुखी होगा परिवार- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

रूप घनाक्षरी छंद में पितरों को तिल जल- कुशाग्र अर्पण करें, उनके आशीष से ही, सुखी होगा परिवार। नदियों या तालाबों में- खड़े हो तर्पण करें, सुख शांति हेतु करें,…

जैसी होती भावना- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

जैसी होती भावना मनहरण घनाक्षरी छंद मानने से पत्थर में- मिलते हैं भगवान, दूध में मक्खन सिर्फ, देखे मेरी भावना। दिल की पुकार से तो- मन की मुरादें मिलें, श्रद्धा…

मेरी प्यारी माँ- राकेश कुमार यादव

मेरी मां सबसे प्यारी, सबसे बलशाली बाढ़ -पानी सबमें इलाज कराने जाती। अपनें लाडले की भलाई के लिए सारी दुनिया से लड़ जाती। मां वह शब्द है जिसमे समाहित है…

हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान – नेहा कुमारी

कही तुलसी ने लिखी कविता, कही छाया रसखान है, कही प्रेमचन्द के रचनाओं में, आंचलिक गुणगान है, मै क्यों ना कहूं गर्व से, हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान है ।…