प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

श्याम वंशीवाला सिर पे मुकुट मोर, गोपियों के चित्तचोर, होंठ लाले-लाल किये, खड़ा बंसी वाला है। कहते हैं ग्वाल-बाल, मित्र मेरा नंदलाल , कन्हैया की माता बड़े, नाजों से हीं…

मैं ईर्ष्या हूँ  –  मोहम्मद आसिफ इकबाल

मैं ईर्ष्या हूँ, मैं ऐसा ही हूँ। मनुष्य के मन में वास करता हूँ, संबंधों का सत्यानाश करता हूँ। हाँ मैं दोस्तों को भी नहीं छोड़ता, छोड़ता नहीं मैं दुश्मनों…

पगडंडी पर भागे ऐसे – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

पगडंडी पर भागे ऐसे, बालक सुलभ सलोने हैं। नन्हीं-नन्हे साथ-साथ हैं, अनुभव नए पिरोने हैं। पगडंडी भी स्वागत करने, हरियाली के बीच खड़ी खड़ी फसल ललकार रही है, शक्ति और…

संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक

संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक नीति नियम का ग्रंथ यही है, जिसके सन्मुख समरस रहते। देश चलाते हैं हम जिससे, संविधान उसको कहते।। आजादी जब हमने पायी, हमको…

जिए जा रहा हूॅं- गजल  राम किशोर पाठक

  १२२-१२२-१२२-१२२ उदासी छुपाकर जिए जा रहा हूँ। तभी तो लबों को सिए जा रहा हूँ।। निगाहें जिन्हें ढूँढती है हमेशा उन्हें बेनजर अब किए जा रहा हूँ।। उधारी चुकाना…

सर्दी आई

सर्दी आई । सर्दी आई, सर्दी आई ,लेकर कंबल और रजाई ।स्वेटर , कोट और शॉलों ने,सबको दी पूरी गरमाई । पर्वत – पर्वत बर्फ गिराती,ठंडी – ठंडी हवा चलाती…

नशा छोड़िए..राम किशोर पाठक

नशा छोड़िए- गीतिका २१२२-२१२२-२१२२-२१२ त्यागिए खुद ही नशा को गर्त में मत खोइए। हो रहे बर्बाद क्यों आबाद भी तो होइए। देखिए उनको जरा करते नहीं हैं जो नशा। देखकर…