भरकर आस है – मनहरण घनाक्षरी लाल मुख प्राची किए, मोह रही जैसे प्रिय, भाव को जगाती हिय, भरकर आस है। शांत चित्त सौम्य लगे, जग सारा अब जगे, तिमिर…
मन उड़ान जब भरे हृदय से -रामकिशोर पाठक
मन उड़ान जब भरे हृदय से – गीत (१६-१४) तन सुवास भी उड़े गगन में, मन में सुंदर आस जगे। मन उड़ान जब भरे हृदय से, सुरभित हर अहसास लगे।।…
आप ही खास हैं -रामकिशोर पाठक
आप ही, खास हैं- अरूण छंद गीत २१२-२१२-२१२-२१२ हो सके, तो कभी, पास में आइए। आप ही, खास हैं, मान भी जाइए।। आपका, काम तो, रंग लाया अभी। आपसे, जख्म…
पुकारिए उसे सदा रामकिशोर पाठक
पुकारिए उसे सदा – पंचचामर/नराच/नागराज छंद गीत १२१-२१२-१२१-२१२-१२१-२ लखे कभी विकार तो, सवाल जो तजा करे। पुकारिए उसे सदा, विचार शुद्ध जो भरे।। सखा किसे कहें यहाँ, सवाल आज है…
बच्चो को सिखाइए-जैनेन्द्र प्रसाद सिंह
बच्चों को सीखाइए जल हरण घनाक्षरी छंद खलिहान छत पर- जहांँ भी जगह मिले, बागवानी करने को, बच्चों को भी सीखाइए। हवा व पानी के लिए , खुशी से जीने…
होकर मगन -रामपाल प्रसाद सिंह
होकर मगन गगन के नीचे, दौड़ रहे ये बच्चे हैं। जिन्हें देखकर वयोवृद्ध सब,अंतर मन से नच्चे हैं।। हरियाली के बीच निरंतर,कोयल की मीठी बोली, विहग सरीखे उड़ते जो हैं,डाल…
हृदय की पुकार -बैकुंठ बिहारी
हृदय की पुकार हे मानव। सुन हृदय की पुकार, प्रकृति से मित्रता कर, प्रकृति का सम्मान कर, पेड़ पौधे जीव जंतु का सम्मान कर। हे मानव। सुन हृदय की पुकार,…
बाल कविता – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
होकर मगन गगन के नीचे, दौड़ रहे ये बच्चे हैं। जिन्हें देखकर वयोवृद्ध सब,अंतर मन से नच्चे हैं।। हरियाली के बीच निरंतर,कोयल की मीठी बोली, विहग सरीखे उड़ते जो हैं,डाल…
पुरुष होना आसान नहीं…मनु कुमारी
जिम्मेदारी का बोझ उठाए।अपने नींद और चैन गंवाए।वो मेहनत करें आराम नहीं ।पर मिलता उसे सम्मान नहीं ।सुनो!पुरुष होना आसान नहीं। मिलते हैं उसे कई उपनाम ।बुजदिल,नकारा,जोरू का गुलाम। डरपोक,नालायक…
काम का महत्व-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
सीखाते कुरान-गीता, गुरुजन माता-पिता, हमें ये जीवन नहीं, मिला है आराम को। मजदूर किसानों को मिलता विश्राम नहीं, सुबह सबेरे जाग, चल देते काम को। कोई काम छोटा-बड़ा होता है…