संस्कृत वह शिक्षण की भाषा संस्कृत इतनी सरल , सहज भाषा , उच्चारण मात्र से देव समक्ष हम पाते हैं । खुशियाँ मिलती हैं भर भर कर , शोले ,…
संस्कृतम् अहं पठामि – राम किशोर पाठक
संस्कृतम् अहं पठामि भाषायाम् जननी अहं नमामि। सखे! संस्कृतम् अहं पठामि।। ज्ञानं वा विज्ञानं वा सर्वे इव धार्यते। मानवोत्थानाय सुकृतं इव कार्यते।। उत्थानाय सर्वेषां इव अनुसरामि। सखे! संस्कृतम् अहं पठामि।।…
लाख दुआएँ देती है – राम किशोर पाठक
लाख दुआएँ देती है भूल अगर हो जाती हमसे, नौ दो ग्यारह भी हो जाते। दौड़ धूप हम इतना करते, अंजर-पंजर ढीले पाते।। चोट हमें लग जाती जब भी, माँ…
हम सुंदर भविष्य बनाएँ- अमरनाथ त्रिवेदी
हम सुंदर भविष्य बनाएँ जहाँ कहीं भी सीख अच्छे मिलते हों , उसे जरूर अपनाएँ । अपने भारत देश को हम , आसमाँ तक पहुंचाएँ । शिक्षित होना बहुत जरूरी…
सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ – अंजनेय छंद गीतिका – राम किशोर पाठक
सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ – अंजनेय छंद गीतिका आओ मिलकर देश सजाएँ। जन-मानस को पाठ पढाएँ।। सभी भेद का त्याग करें हम। सबको सबसे गले लगाएँ।। होड़ मची बस…
बच्चों को निपुण बनाएंँगे हम- नीतू रानी
बच्चों को निपुण बनाएंँगे हम। बच्चा को निपुण बनाएंँगे हम, बदलेंगे जमाना, बच्चा को ——–२। बच्चा हमारा कल का भविष्य है बच्चों से भरा हुआ मेरा स्कूल है, बच्चों का…
शिक्षा है अधिकार हमारा – गीतिका – राम किशोर पाठक
शिक्षा है अधिकार हमारा – गीतिका शिक्षा है अधिकार हमारा। इससे बनता जीवन प्यारा।। नित्य हमें विद्यालय जाना। गुरुवर देते जहाँ सहारा।। कौशल अपना हमें बढ़ाना। निपुण बनें का लक्ष्य…
तू हीं जग के मालिक – अमरनाथ त्रिवेदी
तू ही जग के मालिक तू ही जग के नैया , तुम्हीं हो खेवैया । तुम्हीं जग के मालिक , तुम्हीं रास रचैया ।। मेरे प्राण भी तुम्ही हो , शक्ति…
विवेकानंद – अहीर छंद – राम किशोर पाठक
विवेकानंद – अहीर छंद मानव का निज धर्म । किए सदा शुचि कर्म।। लिए अलौकिक ज्ञान। दिए अलग पहचान।। अद्भुत बुद्धि विवेक। विवेकानंद नेक।। सपने लिए अनेक। करना भारत एक।।…
वर्षा और जन-जीवन – अमरनाथ त्रिवेदी
वर्षा और जनजीवन वर्षा ही देती हम सबकी पहचान । इसके बगैर निकल रही सबकी जान ।। बिन वर्षा के सब बेहाल । सूखे हैं सब पोखर ताल । वर्षा…