प्रभु-लवली वर्मा

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प्रभु

तुम हो, तुम्हीं हो प्रभु
मेरे पालनहार।
आशिष तुम्हारी पाकर,
सपना किया साकार।

विचलित होती थी जब,
करती तेरी आराधना।
तेरी छवि को देखकर
पूरी होती मेरी प्रार्थना।

तू ही करुणा का सागर,
तू ही दयानिधान।
अपने अबोध बालक का,
करते सदैव कल्याण।

मेरे रोम-रोम में तू बसा,
तू मेरा विश्वास है।
छोड़ना नहीं मुझे प्रभु,
तू ही मेरी आश है।

गुण तेरी मैं गाता हूँ,
तेरी महिमा अपरंपार।
अपने निज स्वभाव से,
दूर करते मेरे विकार।

लवली वर्मा

कटिहार, बिहार

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