प्रार्थना
माँ शारदे वरदान दे, माँ शारदे वरदान दे
हे हंसवाहिनी! ज्ञानदायिनी!
सद्ज्ञान का अभिज्ञान दे,
माँ शारदे—–
निष्काम हो मन कामना।
मेरी सफल हो साधना।।
नवगीत नवलय तान दे,
माँ शारदे—–
माया मोह नहीं भरमावे।
दुश्चिंता चित्त न भटकावे।।
माँ शुचितम् सद्ज्ञान दे,
माँ शारदे—–
निर्मल भाव विचार ही लाऊँ।
सदा सत्य का गुण मैं गाऊँ।।
नहीं तनिक अभिमान दे,
माँ शारदे——
यह विश्व ही परिवार हो।
सम्यक परस्पर प्यार हो।।
आदर्श लक्ष्य महान दे,
माँ शारदे—–
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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