गोवर्धन धारी – गीतिका
गोवर्धन की पूजा करने, निकले हैं सब नर नारी।
करके मर्दन मान इंद्र का, झूम रहे गिरिवर धारी।।
गोकुल वासी पूजन करते, सुरपति खुश हो जाते थें।
वर्षा भी होती थी अच्छी, फसल उगा करती सारी।।
कान्हा ने पूजन था रोका, बोले पूजो पर्वत को।
जो करता संरक्षण सबका, बन रक्षक रहता भारी।।
कोप इंद्र को आया जिससे, गोकुल पर विपदा आयी।
मूसलाधार हुई फिर बारिश, हुआ प्रलय की तैयारी।।
तब गोकुल पर किया कृपा था, गोवर्धन सहज उठाया।
छोटी उंँगली पर छतरी सा, बनकर वहाँ चमत्कारी।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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