शिक्षा – किशोर छंद – राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

 

 

घर-घर अलख जगाने वाली, है शिक्षा।

आत्म ज्ञान दे जाने वाली, है शिक्षा।

अपनी जहाँ बनाने वाली, है शिक्षा।

सबको गले लगाने वाली, है शिक्षा।।

दूर बुराई को नित करती, है शिक्षा।

मन के संशय को भी हरती, है शिक्षा।

मार्ग नया नित सुंदर गढ़ती, है शिक्षा।

हमें कर्म के पथ पर धरती, है शिक्षा।।

गुण अवगुण का भेद बताती, है शिक्षा।

अपनेपन का भाव जगाती, है शिक्षा।

सफल बनें का पाठ पढ़ाती, है शिक्षा।

श्रेष्ठ भाव को मन में लाती, है शिक्षा।।

मित्र शत्रु का भेद बताती, है शिक्षा।

अंतस से भी तिमिर भगाती, है शिक्षा।

जीवन में उत्साह जगाती, है शिक्षा।

जीने की नव चाह जगाती, है शिक्षा।।

निर्भयता भी देकर जाती, है शिक्षा।

सरल सौम्य हरपल सिखलाती, है शिक्षा।

एक नयी पहचान बनाती, है शिक्षा।

हमें स्वयं का बोध कराती, है शिक्षा।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।

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