शोर मचा- वासुदेव छंद गीत
सुरभित है सब, कली-कली।
शोर मचा अब, गली-गली।।
आया मौसम, सर्दी का।
पीते हैं पय, हल्दी का।।
सर्द हवा जब, चली-चली।
शोर मचा अब, गली-गली।।०१।।
लगता मनहर, धूप खिला।
फूलों का नव, रूप मिला।।
सरसों सुंदर, पली-पली।
शोर मचा अब, गली-गली।।०२।।
बैठ गये छुप, संशय में।
बच्चे हैं चुप, इस भय में।।
बने कहाँ कब, खली-खली।
शोर मचा अब, गली-गली।।०३।।
रंग भरा जग, न्यारा है।
कुसुमित भूतल, प्यारा है।।
मनहर हैं सब, भली-भली।
शोर मचा अब, गली-गली।।०४।।
सपने रखकर, सब आओ।
सुखमय होकर, मुस्काओ।।
कृपा करें रब, अली-अली।
शोर मचा अब, गली-गली।।०५।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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