पार्वती के प्रिय पुत्र, एकदंत गणपति, आगवन घर-घर,लाए हैं आनंद साथ। मंदिरों के पट खुले, फूल माला खूब चढ़े, कुंज-कुंज शंखनाद,अंधेरे में दिखे नाथ। दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि, मध्य बैठे गजानन, भक्तों…
SHARE WITH US
Share Your Story on
स्वरचित कविता का प्रकाशन
Recent Post
- बम शिव कहके- मधुमति छंद वर्णिक – राम किशोर पाठक
- गणेश- कहमुकरी – राम किशोर पाठक
- शिक्षा और समाज – नीतू रानी
- रूपघनाक्षरी – शृंगार – एस.के.पूनम
- सत्य अगर बोलूं..रामकिशोर पाठक
- शब्दों के मोती..रामकिशोर पाठक
- मेरा जीवन..रामकिशोर पाठक
- गणेश वंदना..राम किशोर पाठक
- तू बचा ले .रामपाल प्रसाद सिंह
- जीवन और जल..गिरिंद्र मोहन झा