पूरब में देख लाली, झूमती है डाली डाली, धरती आबाद होती, सूरज किरण से। बसंत बहार देख, फूलों की कतार देख, तितली ऋंगार कर, पूछती मदन से। जंगलों में कंद-मूल,…
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होली में-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद रंगों का त्योहार आया, खुशियां अपार लाया, आपस की बैर भूल, गले मिलें होली में। गली-गली मचा शोर, खुशी छाई चहुं ओर, बाल, वृद्ध, युवा रंग- खेलें…
शिष्टाचार -जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद सामाजिक रिवाजों से, कट रहे युवा पीढ़ी, शिष्टाचार – व्यवहार, दिखते न वाणी में। सत्य का महल सदा, टिकता है दुनिया में। कागज की नाव कभी, चलती…
भोले भंडारी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मनहरण घनाक्षरी छंद गंगाजल जिन्हें भाता, भूत-प्रेत से है नाता, बेलपत्र पर रीझें, भोले जी भंडारी हैं। इन्द्र चढ़ें एरावत, गरूड़ जी हैं विष्णु भक्त, बसहा वरद भाई, शिव की…
प्रेम अनुराग -जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद बसंत बहार ले के, रंगों का त्योहार आया, जगदंबा माता संग, शिव खेलें फाग है। सिर पर जटा जूट, हाथ लिए कालकूट, बने जब नीलकंठ, गले पड़ा…
उचित समय- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद पेड़ पौधे झुक जाते, जलधारा रुक जाते, जड़ पे असर होता, विनती विनय के। ईश में विश्वास करें हमेशा प्रयास करें, प्रार्थना भजन करें, पवन तनय के।…
गुण को नमन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
फल फूल अन्न मिले, पौष्टिक भोजन मिले, परम नमनीय है, पसीना किसान के। देश की वो रीढ़ होते, धरती में बीज होते, जिनसे आबाद मिट्टी, खेत खलियान के। देश के…
स्वास्थ्य मंत्र- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
दूर होंगे कष्ट सारे, निरोग रहोगे प्यारे, रोज दिन कुछ देर कसरत करना। राम-राम भज कर, आलस को तज कर, बिस्तर सवेरे छोड़ सुबह टहलना। भूख लगने पे खाना, जल्दी…
मौसम- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद रोज दिन पल-पल, मौसम बदल रहा, सेंकने को मन करे, बैठ खिली धूप को। जो रहेंगे सावधान, नहीं होंगे परेशान, निकलें परख कर, मौसम के रूप को।…
सरस्वती वन्दना- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
दे विमल बुद्धि भावना, माँ शारदे है प्रार्थना , ऐसी शक्ति दे मां कर सकूं, हर संकटों का सामना। बालक बड़ा नादान हूं, धर्म-कर्म से अनजान हूं, जैसा भी हूं…