नया साल मुबारक हो- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

आनंद के सागर में, डुबकी लगाते रहें, दुनिया की हर खुशी, मिले नए साल में। नित्य नए पकवान, मिले भोजन मिष्ठान, हो पापड़ तिलौड़ी घी, रोज भात दाल में। अन्न-धन,…

जीवन अनमोल-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद माता – पिता, गुरुजन, का जो ना सहारा मिले, उम्र सारी बीत जाए, जिंदगी बनाने में। मानव जीवन भाई, बड़ा अनमोल होता, वक्त न बर्बाद करें, बैठ…

कर्पूर बदन-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++ सिर शोभे जटा जूट, विभाकर का मुकुट, कर्पूर बदन शिव, हाथों में त्रिशूल है। चढ़ता है बेलपत्र, गंगाजल बने इत्र, फूलों में अधिक प्यारा, धतूरा का…

मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

टूटे रिश्ते जिंदगी गुजर जाती, यहां रिश्ते बनाने में, गाँठ पड़ जाते यदि, टूटे-रिश्ते जुड़ते। खूब मजबूत रखें , संबंधों की बुनियाद, बालू की दीवार बने, घर नहीं टिकते। प्रेम…

जीवन का फ़लसफ़ा -जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

सभी करते आनंद यहां अपने वजूद में, बड़े कामकाज करें, बच्चे खेलकूद में। किशोर तो विद्यालय जाएं करने पढ़ाई को, युवक सेनाओं में जाते सीमा पर लड़ाई को। व्यस्क करें…

शरद्ऋतु- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

सूरज दादा शांत पड़े हैं जाड़े ऋतु से डरकर, सीना तान खड़ा हुआ शरद्ऋतु जब तनकर। चाय-कॉफी सबका मन भाए, अंडा मांस मछली, एसी,कूलर,फ्रीज की हालत अब हुई है पतली।…

बसंत बहार- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

घनाक्षरी छंद में (१) बागों में बहार आई, मन में उमंग छाई , भांति-भांति फूल देख, छूटे फुलझड़ियां। जहां भी नज़र जाए, सुन्दर सुमन भाए, दूर-दूर तक लगी, पुष्पों की…

मनहरण घनाक्षरी-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

पक्षियों ने पंख खोला,उड़ने से डाल डोला, सुगंधित मंद-मंद , बहता पवन है। सरसों के फूल खिले, खेत दिखे पीले-पीले, चारों ओर हरियाली, खिलता चमन है। दिन देखो ढल गया,…