प्राण संग दुनिया से कर्म धर्म साथ जाते, केवल मानव तन जलता है आग़ में। दीप संग तेल जले परवाना गले मिले, वर्तिका में छिपी होती रोशनी चिराग में। अज्ञानी…
Tag: जैनेन्द्र प्रसाद “रवि”
नमन मंच – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी “”””””””””””””””””””’” “डूबते को तिनके का” +++++++++++++ हजारों तारों के बीच, हमेशा चमकता है, जैसे आसमान बीच- एक ध्रुवतारा है। धीर-वीर पुरुषार्थी, दुनिया में पूजे जाते, अकेला सूरज करे-…
प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी वर्षा ऋतु आने पर, नदी नाले भरे जाते, आनंद से रहती है मछली तालाब में। लोगों की नज़र बीच, छिपाने से छिपे नहीं, असली छुपाते लोग चेहरा नक़ाब…
मनहरण घनाक्षरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
रवि छिप जाता जब, चांद आसमान तब, सरोवर पड़ा जल झिलमिल करता। वर्षा ऋतु जाने पर, शरद के आने पर, कितना जतन करें नदी नहीं भरता। समय के आने पर,…
चूहे की बारात-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
घर से निकले चूहे राजा, ले के हाथी और बैंड बाजा। नई शेरवानी लंबा कुर्ता, पहन पतलून, टोपी जूता। घोड़े पर वह हुआ सवार, चले बाराती भर कर कार। मन…
प्रभाती पुष्प- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी ****** लाखों मनुहार करें, कितना भी प्यार करें, पिंजरे में बंद पक्षी खुश नहीं दिखता । समय प्रभात रहे, दिन याकि रात रहे, हमें जाग जाने पर चोर…
सूर्य उपासना- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
युगों से इंतजार था, जिसे सारी दुनिया को, बिहार ने दिया छठ- पर्व की सौगात है। दिन रात निराहार- रह अरदास करें, व्रतियों को वर देते- रवि अवदात हैं। आपसी…
रोज निवारण पर्व- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद :- मनहरण घनाक्षरी ****** चार दिवसीय पर्व, ख़ुशी ख़ुशी बीत गया, आज पावन पर्व का, हो गया पारण है। जाति-धर्म, ऊंच-नीच,भेद भाव छोड़ने का, मन में संकल्प हम, करते…
माँ की ममता- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
अपनी ममता की छाँव देकर तुमको गले लगाऊँ मैं। तुम हो मेरे कृष्ण-कन्हैया तुमको पाकर इठलाऊँ मैं।। रौशन तुमसे चाँद सितारे तुम मेरे आँखों के तारे, मेरी आँखों की नींद…
दिवाली की सौगात – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
आओ मिलकर दीप जलाएं दिवाली की रात में, दिल का अंधेरा दूर है होता प्रेम की सौगात में। दिन रात एक कर घरों को सजाते हैं, परिजन मिलकर रंगोली बनाते…