अपनी ममता की छाँव देकर तुमको गले लगाऊँ मैं। तुम हो मेरे कृष्ण-कन्हैया तुमको पाकर इठलाऊँ मैं।। रौशन तुमसे चाँद सितारे तुम मेरे आँखों के तारे, मेरी आँखों की नींद…
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दिवाली की सौगात – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
आओ मिलकर दीप जलाएं दिवाली की रात में, दिल का अंधेरा दूर है होता प्रेम की सौगात में। दिन रात एक कर घरों को सजाते हैं, परिजन मिलकर रंगोली बनाते…
दीपावली- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी ****** जगमग दीप जले, चाँद सा भवन खिले, घर-घर लगी आज हैं बल्बों की लड़ियां। उमंग में जग सारा, देख आसमान तारा, खुशी से बच्चों के मन छूटे…
आँगन के फूल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
जग के आंखों के हैं तारे ये आँगन के फूल हमारे, इनके आगे फीका लगता है नील गगन के चांद सितारे। बच्चे होते हैं तितली जैसे इनकी शोभा होती न्यारी,…
दीपावली का संदेश – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
दीपावली का संदेश ****** बच्चों अबकी दीवाली में फुलझड़ियों से मुंह मोड़ो। दुनिया की भलाई के खातिर तुम पटाखा मत छोड़ो।। पटाखों से प्रदूषण बढ़ता, होती पैसे की बर्बादी, तुम…
वर्षा की बूंदे – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण बाल घनाक्षरी “””””””””””””””””””””””” टप – टप गिरे ऐसे, लगता है मोती जैसे, नभ से वर्षा की बूंदे रिमझिम बरसे। ताल भरे लाजबाव, पानी करे छपा-छप, मछली पकड़ने को बालमन…
रावण दहन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
अपने अंतर्मन का, रावण दहन करें, लोभ-मोह, दर्प-मान बड़ा ही दानव है। दूसरों से बैर भाव, मानवता का अभाव, क्षुद्र बुद्धि अहंकार पीड़ित मानव है। काम- क्रोध पद- रूप, पुत्र-धन,-…
भजन – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
तोहर माथे में मुकुट गले हार सोहे ला, माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला। कर में कंगन सोहे भाल सोहे बिंदिया, असुरों के देख तोहे आवे नहीं निंदिया। तोहर…
प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद हर साल नवरात्रि, माता की चरण आवे, पूजा बिना सुना लगे महल अटरिया। धन पद सुत दारा, कुछ दिनों का सहारा, चाहत में यूं ही सारी बीती…
जाने कहां गए वो दिन -जैनेन्द्र प्रसाद रवि
टॉफी पा के इठलाना, पल में मचल जाना, शैशव की बीती बातें- हमें याद आते हैं। बांहों में लिपट कर, आंचल में छिप जाना, मां की सुनाई लोरी- नहीं भूल…