हिन्दी-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

हिन्दी हिन्दी भारत की है मातृभाषा, फूले-फले यह है अभिलाषा। जन गण मन की शान हिन्दी, भारत की पहचान है हिन्दी। युगों युगों से जुंवा पर सबकी, बनीं हुई जन…

नव वर्ष स्वागत है-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

नव वर्ष स्वागत है कलियों की मुस्कान से, पक्षियों की हर्ष गान से, नववर्ष का स्वागत है। सूरज की परछाई है, किरणें भी अलसाई है। शरद् ऋतु की मुस्कान से,…

स्वच्छता अपनाएं-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

स्वच्छता अपनाएं आओ हम स्वच्छता को अपनाएं, अपने जीवन को सफल बनाएं। साफ-सफाई को अपनाकर, अब सभी रोगों को दूर भगाएं।। यदि सभी को स्वच्छ मिलेगा पानी, सुखी होगी हमारी…

किसान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,

किसान खेती, बेटी एक समान होती है कृषक की जान, चर,अचर जीवों का पालक अन्नदाता है किसान। धूप-छांव हो या कि वर्षा कभी नहीं करता विश्राम, दिन-रात वह करता काम,…

चीरहरण-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,

चीरहरण द्रोपदी सभा में चीख रही लाज बचाए कौन? सभासद स्तब्ध सभी हैं नजर झुकाए मौन।। भीम, अर्जुन, धर्मराज बैठे हैं चुपचाप। वीरों की इस सभा को सूंघ गया है…

अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,

अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि देश का मान बढ़ाया तूने अनेकों सैनिक से। तिरंगे ने सिर छुपा लिया है तेरे अंतिम बलिदान से।। तेरे रन कौशल से डरकर दुश्मन शीश झुकाता था, तेरी…