अदृश्य सत्ता- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद अखिल ब्रह्मांड बीच, कोई तो है सार्वभौम, जिसके इशारे बिना, पत्ता नहीं हिलता। धरती खनिज देती, सीप बीच मिले मोती, कोमल सुन्दर फूल, काँटों बीच खिलता। चैन…

योगासन का महत्व – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

श्री कृष्ण से ज्ञान पा के, ऋषियों ने अपनाया, असाध्य रोगों का स्थाई, उपचार योग है। जिसने भी अपनाया, पाया है निरोगी काया, शरीर को योगासन, रखता निरोग है। जीवन…

बच्चों का अंदाज- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

आने वाले समय की,उसको न चिंता होती, हमेशा वो हर पल, रहता बिंदास है। आँखों में बसा के चित्र, सबको बनाए मित्र, अपना ही हमजोली, आता उसे रास है। मलाई…

मनहरन घनाक्षरी छंद – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

और कोई काम नहीं, मिलता आराम नहीं, थक हार कर थोड़ा, सूर्य अलसाया है। चलता हूँ जिस पथ, देखता हूँ लथपथ, थलचर-नभचर,घाम से नहाया है। सागर उबल रहा, पत्थर पिघल…

दुनिया हैरान है – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

जीव-जंतु परेशान, बढ़ रहा तापमान, अब भी तो चेतो भाई, कहाँ तेरा ध्यान है? धरती सिमट रही, आबादी से पट रही, हरियाली बिना धरा, हो रही विरान है। गर्मी रोज़…

गर्मी से बचकर – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

इस बार मौसम का अलग नजारा दिखे, दोपहर साँय-साँय, हवा चले कसकर। धूप की लपट बीच जलता है अंग-अंग, तपन चुभाए बिष, नागिन सी डँसकर। पानी भी पसीना बन उड़…

विवाद का परिणाम – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

एक बिल्ली ने रोटी पाई दूसरे ने भी आँख गड़ाई, इतने पर दोनों आपस में करने लगे छीना- झपटी। एक ने कहा मैंने देखी ज्यादा नहीं बघारो शेखी, बिना कमाए…

बेटी की विदाई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

चहुंँओर खुशी छाई,बज रही शहनाई, परिजन नाच रहे, खुशी का है अवसर। विवाह के बाद जब, विदाई की आई घड़ी, सखियों के आँसू गिरे,अंँखियों से झर-झर। पूछ रही रोती-रोती, बेटी…

खुदा मेहरबान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

विद्या;- मनहरण घनाक्षरी छंद ऊँचे ओहदेदारों की, हो जाता गुनाह माफ, गरीबों की गुस्ताखी पर, मच जाता शोर है। पद के रसूखदार, तोड़ते कानून रोज, बलवानोंअमीरों पे, चलता न जोर…