छंद: गीतिका – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

बच्चों को सिखलाना होगा। सही मार्ग ले जाना होगा।। बच्चे तो हैं मन के सच्चे, यही कर्म दुहराना होगा। होते हैं मृदु माटी जैसे, कंचन धवल बनाना होगा। इनसे आलय…