सिर घुँघराले लट, तन पीतांबर पट, बहुत है नटखट, साँवरा साँवरिया। मंत्र मुक्त होता कवि, जाता बलिहारी रवि, मन को लुभाती छवि, होंठों पे बाँसुरिया। जाता पनघट पर, ग्वाल-बाल मिलकर,…
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तुझे अपनाना है- एस.के.पूनम
गगन में मेघ छाए, ठंडी-ठंडी बूंदें लाए, अंबु से सरिता भरी,हरि को पिलाना है। चल पड़े आप साथ, थाम रखें मेरा हाथ, नदियाँ उफन रही,उस पार जाना है। कन्हैया की…
अदृश्य सत्ता- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद अखिल ब्रह्मांड बीच, कोई तो है सार्वभौम, जिसके इशारे बिना, पत्ता नहीं हिलता। धरती खनिज देती, सीप बीच मिले मोती, कोमल सुन्दर फूल, काँटों बीच खिलता। चैन…
प्रेम उपहार-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद सबकी बनाए भाल चौबीस का नया साल, साथियों के लिए लाए, खुशियां अपार है। आप सभी छोटे बड़े रहते हैं साथ खड़े, आपकी दुआएं हमें, दिल से…
मौसम- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद रोज दिन पल-पल, मौसम बदल रहा, सेंकने को मन करे, बैठ खिली धूप को। जो रहेंगे सावधान, नहीं होंगे परेशान, निकलें परख कर, मौसम के रूप को।…