मेरे बाबू, मेरे भइया तुम तो नाचो ता – ता थइया मदारी बनकर आता है भालू को संग ना लाता है बातें ही तेरी – मेरी करके बातों से भरमाता…
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गीत – मुकेश कुमार मृदुल
थाम तुम्हारी उँगली पापा! चलना सीखा डगर-डगर। और तुम्हारे कंधों पर चढ़ देखा मैंने गाँव-शहर। अपनी क्षमता झोंकी तुमने मुझको सतत पढ़ाने को सभ्य आचरण भी सिखलाया लोगों से बतियाने…
भारत-वंदना – मुकेश कुमार मृदुल
तेरी माटी रोली – चंदन भारत भूमि तुझे शत वंदन सुषमाओं से है संपूरित देव यहां पर हुए अवतरित मुनियों के तप से है उन्नत धरा तू है मानव का…