सुन री सखी! यदि वे मुझसे कह न पाते, लिख कर ही अपनी व्यथा छोड़ तो जाते। विश्वास के बंधन बाँध तो जाते, सखी काश ! वे मुझसे अपनी व्यथा…
SHARE WITH US
Share Your Story on
writers.teachersofbihar@gmail.com
Recent Post
- कलम हमारी ताकत है – सुरेश कुमार गौरव
- प्रेम वही करता इस जग में- अमरनाथ त्रिवेदी
- दोहावली – रामकिशोर पाठक
- सदाचार कुछ बचपन के – अमरनाथ त्रिवेदी
- सदाचार कुछ बचपन के – अमरनाथ त्रिवेदी
- बदलते गाँव की सूरत – अमरनाथ त्रिवेदी
- मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
- मेरी गुड़िया रानी बोल- नीतू रानी
- सर्दी – रामकिशोर पाठक
- समय पर खेल समय पर पढ़ाई – अमरनाथ त्रिवेदी