विदा होते वक्त विदा होते ऐ वक्त फिर लौटकर, यह दिन मत दिखाना! कोरोना काल के भया-भय इतिहास को, मत दुहराना!! कितने हो गए काल कवलित, छोड़ गए अपना घराना!…
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जीवन प्राण है मिट्टी-सुरेश कुमार गौरव
जीवन प्राण है मिट्टी चाह यही है इस मातृ मिट्टी को सदैव चूमता जाऊं ! चाह यही है इस मातृ मिट्टी को सदैव सींचता जाऊं !! चाह यही है इस…
अन्नदाता-सुरेश कुमार गौरव
अन्नदाता जब तक कि मिट्टी से सने नहीं, अन्नदाता के पूरे पांव-हाथ! सदा खेतों में देते रहते ये, बिना थके-रुके, दिन-रात साथ!! हल, बैल, कुदाल, रहट, बोझा, पईन, पुंज और…
ये हवाएं और फिजाएं-सुरेश कुमार गौरव
ये हवाएं और फिजाएं प्रकृति ने बनाए सुलभ नियम, बहुत सारे ऐसे ! संसार के सभी जीव बंधे हुए हैं, इनसे जैसे !! 🌱 मानव की विचारधारा मानों बदलती चली…
नशा से मुक्ति-सुरेश कुमार गौरव
नशा से मुक्ति नशा मानव जीवन की अवक्रमित अनुचित दशा है इससे हम सबको बचकर ही रहना उचित दिशा है। नशा से मुक्ति मतलब पराभव से मिल जाए मुक्ति नशा…
उचित व्यवस्था है संविधान-सुरेश कुमार गौरव
उचित व्यवस्था है संविधान देश का संविधान भारत के लोगों का है जरुरी विधान इससे ही होता है हम भारतीयों के सभी जरुरी निदान। जब अंग्रेजी सत्ता वापस हुई तब…
पेड़ पौधे हैं जरुरी-सुरेश कुमार गौरव
पेड़ पौधे हैं जरुरी धरती पर पेड़-पौधे को हमेशा ही उगाईए जीवन पारिस्थितिक तंत्र को भी बचाईए ! 🌲 देते फल-फूल, औषधि, जरुरी जड़ी-बूटियां आक्सीजन देती है इसे अपना मित्र…
निर्भयता का संदेश-सुरेश कुमार गौरव
निर्भयता का संदेश मेरा दीपक जलता जाए कुछ करने का अरमान लिए मनुज सेवा का वरदान लिए जीवन पथ के भूले पथिक को राह दिखाता जाए मेरा दीपक जलता जाए।…
सूर्य और प्रकृति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण में-सुरेश कुमार गौरव
सूर्य और प्रकृति एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण में सूर्य और प्रकृति ही संपूर्ण जीव जगत और मानव जाति का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। एक तरह…
विदा होते पल-सुरेश कुमार गौरव
विदा होते पल विदा होते पल, हमेशा करता जाता समय का छल! न लौट पाने की आशा और न छू पाने के वे कल!! खट्ठी-मीठी, भूली-बिसरी, यादों के वे सुनहरे…