पक्षियों की भाषा भी बड़ी सुरमयी सी होती हैं! इनके कलरव बोल से मन गीतमयी सी होती हैं!! कभी इस डाल तो कभी उस डाल ये डोलती हैंं! स्वच्छंद विचरण…
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पहली बालिका शिक्षा मंदिर दात्री साबित्रीबाई फूले- सुरेश कुमार गौरव
तीन जनवरी अठारह सौ इकतीस को महाराष्ट्र के सतारा में एक विलक्षण गुणी प्रतिभा बालिका का अवतरण हुआ। माता-पिता ने सोच नाम उसका साबित्री भाई फूले रखा जैसे-जैसे बड़ी हुई…
गुरुजी का ज्ञानदान-सुरेश कुमार गौरव
गुरुजी का ज्ञानदान बचपन में गुरुजी ने सिखलाया अनुशासन का खूब पाठ पढ़ाया। कहते बापूजी के तीन थे बंदर सुनो दिनेश, महेश, रमेश व चंदर। पहला कहता बुरा मत बोलो…
मकर संक्रांति का संदेश-सुरेश कुमार गौरव
मकर संक्रांति का संदेश स्थितिक मकर संक्रांति का दिवस कभी न बदलता ! प्रकृति पर्व के संदेशों में, मानव जीवन सदा है सुधरता !! 🌄 तिल, गुड़, चूड़ा, तिलकुट दूध-दही…
नव वर्ष का सार्थक संदेश-सुरेश कुमार गौरव
नव वर्ष का सार्थक संदेश नव वर्ष का आज शुभ दिन है आया सब लोगों में सार्थक संदेश है लाया। कई खट्टी-मीठी अनोखी यादें छोड़ गया पर नवस्फूर्ति ला यह…
विदा होते वक्त-सुरेश कुमार गौरव
विदा होते वक्त विदा होते ऐ वक्त फिर लौटकर, यह दिन मत दिखाना! कोरोना काल के भया-भय इतिहास को, मत दुहराना!! कितने हो गए काल कवलित, छोड़ गए अपना घराना!…
जीवन प्राण है मिट्टी-सुरेश कुमार गौरव
जीवन प्राण है मिट्टी चाह यही है इस मातृ मिट्टी को सदैव चूमता जाऊं ! चाह यही है इस मातृ मिट्टी को सदैव सींचता जाऊं !! चाह यही है इस…
अन्नदाता-सुरेश कुमार गौरव
अन्नदाता जब तक कि मिट्टी से सने नहीं, अन्नदाता के पूरे पांव-हाथ! सदा खेतों में देते रहते ये, बिना थके-रुके, दिन-रात साथ!! हल, बैल, कुदाल, रहट, बोझा, पईन, पुंज और…
ये हवाएं और फिजाएं-सुरेश कुमार गौरव
ये हवाएं और फिजाएं प्रकृति ने बनाए सुलभ नियम, बहुत सारे ऐसे ! संसार के सभी जीव बंधे हुए हैं, इनसे जैसे !! 🌱 मानव की विचारधारा मानों बदलती चली…
नशा से मुक्ति-सुरेश कुमार गौरव
नशा से मुक्ति नशा मानव जीवन की अवक्रमित अनुचित दशा है इससे हम सबको बचकर ही रहना उचित दिशा है। नशा से मुक्ति मतलब पराभव से मिल जाए मुक्ति नशा…