विद्यालय का आँगन-अंजलि कुमारी

विद्यालय का आँगन

पुनः गूंजेंगे गीत खुशी से,
चेतना सत्र के प्रांगण में।
पुनः खेलेंगे छात्र-छात्राएं,
विद्यालय के आंगन में।।

महामारी में कैद हो गया,
बचपन चारदीवारी में।
शिक्षक माली के जैसे उदास,
सूने विद्यालय फुलवारी में।।

जहाँ गूंजती थी किलकारी,
होता था शोर शरारत का।
आज वहाँ पसरा सन्नाटा,
महामारी की आफत का।।

सूने-सूने वर्गकक्ष हैं,
है सूना भवन पुस्तकालय का।
पतझड़ के पेड़ सा हाल,
हो गया आज विद्यालय का।।

पुनः कोपलें आयेंगी,
जैसे कि फूल खिले हो सावन में।
पुनः खेलेंगे छात्र-छात्राएं,
विद्यालय के आँगन में।।

घबराना न बच्चों तुम,
शिक्षक हर कदम पे तुम्हारे साथ हैं।
पढ़ाई जारी रखने को ही,
हमने थामा ऑनलाइन का हाथ है।।

ये भी न कर पाओ तो,
कैच-अप कोर्स का भी सहारा है।
तीन महीनों में जिसमें,
पूरे सिलेबस को उतारा है।

बस तुम विश्वास बनाये रखना,

“डर” लाना न अपने मन में।
पुनः गूंजेंगे गीत खुशी के
चेतना सत्र के प्रांगण में।।
पुनः लौटेंगे छात्र-छात्राएं
विद्यालय के आंगन में।।।

ANJALI KUMARI
MURAUL
MUZAFFARPUR
BIHAR

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