सौर वर्ष में करते गणना।
भाद्र शुक्ल शिल्पी का गहना।
सदा प्रतिपदा शुभता लाती।
कन्या राशि संक्रांति आती।।
नियत समय हर वर्षो से हीं।
विश्वकर्मा पूजन सदा हीं।।
सतरह तारीख सितंबर में।
शिल्पकार की जय-जय जग में।।
सृष्टि के प्रथम शिल्पकार थें।
जग को सुंदर दिए आकार थें।।
वास्तुकार शिल्पकार कहिए।
यंत्रवेता विद्वान कहिए।।
लंका द्वारका वे बनाए।
अस्त्र-शस्त्र सुर दिए बनाए।।
देवों में वे कुशल बहुत थें।
सर्जक वे प्रख्यात बहुत थें।।
विधि विधान सब पूजन करते।
पाठक कृपा सदा ही वरते।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला
बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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