आओ करलें योग
आओ करलें योग हम, निशि-दिन रहें नीरोग।
शुद्ध-सात्विक आहार का, भोजन में करें प्रयोग।।
अल्परूप में भोजन करें , फल सलाद के संग।
तीन गुना जल सेवन करिये , चढ़ेंगे तन पर रंग।।
सुबह उठकर सैर पर जाएं,हमको मिले शुद्ध हवा।
मिले ताजगी तन मन में फिर, कई रोगों की दवा।।
योग के आठ अंग को जाने, और करें फिर योग।
बिना योग के हम पाते हैं, जीवन में बस सोग।।
यम ,नियम, आसन, प्राणायाम,ये हैं सुन ले चार ।
प्रत्याहार, धारणा, ध्यान समाधि, मिलकर आठ प्रकार।।
योग करोगे स्वस्थ रहोगे,सुन सखा, बंधु, मनमीत।
बिना योग के बनोगे रोगी, जीवन होगा भयभीत।।
योग गुरु से सीख- सीखकर, सब मिल करें अभ्यास।
अनुलोम-विलोम, कपालभाँति, भस्त्रिका,ये तीनों हैं खास।।
योगों में भी श्रेष्ठ हैं सुन ले, मनोयोग हरि ध्यान।
आत्म-तत्व का ज्ञान हो जिनसे, और मिले निर्वान।।
रचनाकार
मनु कुमारी,
विशिष्ट शिक्षिका, मध्य विद्यालय सुरीगाँव,बायसी पूर्णियाँ
