साथियों योग करो,
तन को निरोग रखो।
योग से मिलती सुंदर काया ,
शांत चित्त एवं निर्मल छाया।
समस्त रसों का सार है योग,
सभी सुखों का आधार है योग।
ऋषि मुनि भी करते थे योग,
विश्व गुरु बनने का है यह योग।
आओ मैं योग गुरु बन जाऊं,
भांति – भांति के आसान बतलाऊं ।
कुछ है उल्टे कुछ है सीधे,
कुछ है भारी कुछ है हल्के ।
ना तो इनमें खर्चा लगता ,
ना ही इसमें कुछ पूंजी लगती।
ना तो मशीनों की आवश्यकता,
ना ही अंग्रेजी संगीत के शोर की चिंता।
दुश्चिंता का है यह उपाय
डिप्रेशन तो तनिक न आए
स्वस्थ रहें और स्वस्थ बनाएं,
आओ मिलकर योग अपनाएं।
सभ्यता संस्कृति का विस्तार करें,
योग को सब स्वीकारकरें।
फिर से चलो प्रयोग करें,
आओ मिलकर योग करें ।
आओ मिलकर योग करें।।
खुशबू कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय दुघरा
भभुआ कैमूर बिहार