आतंकवाद मिटाना है
केवल खाली खाली बातों से ,
अब पेट नहीं हमे भरना है ,
जबतक आतंकवाद खत्म नहीं होता ,
उससे हरपल ही हमें लड़ना है ।
आतंकवाद की जड़ें इतनी गहरी ,
जो अबतक उखड़ न पाए ।
क्यों साजिश इसकी इतनी गहरी ,
जो अब तक समझ न आए ?
कोशिश होता आतंकवाद खत्म करने की,
खूब जोर लगाया जाता है ।
पर कुछ दिनों बाद सख्ती ज्यों कम होती ,
त्यों यह सिर तक पहुँच आता है ।
बीते कुछ वर्षों में कितने ,
माँ , बहनों के सुहाग धुले !
बीते कुछ वर्षों में ही कितने ,
माँ, बहनों के कोख उजड़े !
अब यह मनमानी कतई नहीं चलेगी,
सारी जनता का खून अब खौल रहा ।
जनता ही अचानक अब टूट पड़ेगी ,
हर जनता का धीरज अब डोल रहा ।
देश अब कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता ,
जहरीले आतंकवाद के खतरे को ।
आतंकी कहीं भी टूट पड़ते ,
भले लोगों को खत्म करने को ।
आतंकवाद को खत्म करना है तो ,
हर पल सख्ती से निपटना होगा ।
जहाँ फन दिखे आतंकवाद का ,
तत्क्षण उसे कुचलना होगा ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
