इंसानियत के मसीहा संत कबीर
एक ऐसे संत कबीर हुए,
जो जमकर कुरीतियों पर वार किया ।
हिंदू मुस्लिम की दकियानूसी बातों पर ,
समग्र प्रचंड प्रहार किया ।
थे पंचमेल भाषा के वे अक्खड़ कवि ,
जो उचित अनुचित में फर्क किया ।
बिना कलम कागज पकड़े ही ,
नाम कवियों में अपना दर्ज किया ।
उनके लिखे दोहे आज भी ,
दिल को बहुत ही भाते हैं ।
कवियों में वे शिरोमणि ,
हमें याद बहुत वे आते हैं ।
साखी , सबद , रमैनी में इन्होंने ,
अपने भावों का प्रसार किया ।
ढोंग , पाखंड , जाति का भी
नहीं तनिक कभी साथ दिया ।
हिंदू , मुस्लिम सबको लपेटा ,
किया उजागर हर धर्म के पाखंड को ।
जमाने की डर उनको तनिक न थी ,
पाया था जब उस परमात्म अखंड को ।
जहाँ जहाँ कुरीति देखी ,
जमकर उसपर वार किया ।
नफरत , ढोंग जहाँ भी देखा ,
खुलकर खूब प्रहार किया ।
कबीर साहित्य में पंचमेल है भाषा ,
जो सबको प्रिय लगते हैं ।
उनकी वाणी में अक्खड़पन है ,
जो संदर्भ से सीधे जोड़ते हैं ।
दीवार नहीं तनिक भी भाषा की ,
उन्मुक्त है उनकी शैली भी ।
अंधविश्वास पर जब प्रहार हैं करते
तो नप जाते सारे थैली भी ।
अवसान समय तो गजब हुआ ,
प्राण छोड़ कबीर जब विदा हुए।
निष्प्राण शरीर उनके लेने को ,
हिंदू , मुस्लिम भी फिदा हुए ।
जब अंत समय काया को लेना चाहा ,
तब निष्प्राण शरीर वहाँ नहीं मिला ।
उस जगह तो केवल फूल ही फूल मिले ,
आधे कर उसे बाँट लिए रह न गई तब शेष गिला ।
ऐसे अवतारी पुरुष कबीर ने ,
बहुत भ्रमात्मक बातें तोड़ी थीं ।
समाज में फैली कुरीतियों को ,
सबके समक्ष ही छोड़ी थीं ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा , मुजफ्फरपुर
