चंदा मामा और तितली रानी
चंदा मामा आए नभ में, चुपके से मुस्काए।
तारों की महफिल में आकर, मीठे गीत सुनाए।।
नीली-पीली तितली रानी, फूलों पर इतराई।
चंद सफर की उसकी इच्छा, मन ही मन मुस्काई।।
बोली तितली – “चंदा मामा, क्या मैं पास आ जाऊं?
तेरे संग-संग रजत गगन में, झिलमिल दीप जलाऊं?”
हँस के बोले चंदा प्यारे – “पहले पंख बढ़ाओ,
सपनों के आसन पर बैठो, नभ में दूर उड़ आओ!”
तितली बोली – “सपनों में ही सही, संग तू आ जाना,
फूलों वाली दुनिया में फिर, मुझसे मिलने आना।”
चंदा बोला – “रोज़ रात को, मैं हीं तो आता हूँ,
तेरे नन्हें पंखों से मैं, उजियारा लाता हूँ!”
@सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)
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