व्याख्या कैसे करुँ तेरा,
विस्तार तेरा है सीमित नहीं।
टीओबी है टीम अनूठा,
उदाहरण से वर्णन किंचित नहीं।।
पद्य पंकज और गद्य गुंजन से,
हर रोज सजे इसकी बगियाँ।
दिवस विशेष पर लगता जैसे,
सुशोभित हो पुष्पों से डलियाँ।।
हमारे मन की तो पूछो मत,
अंदर की कला बाहर आई।
कलम की धार चली ऐसे,
जो अब तक न रुक पाई।
एक दिशा मिला कल्पना को मेरी,
टीओबी ने हौसला जगाया।
एक मंच मिला प्रतिभाओं को,
खुद से रु-ब-रु करवाया।।
मन में सकारात्मक ऊर्जा भरा,
हर रोज नया कुछ लिखती हूँ।
मन के सुंदर विचारों को,
कोरे कागज पर रखती हूँ।।
हमारा यह उत्थान किया,
भरपूर मान और सम्मान दिया।
हमारे कौशल को प्रकाशित कर,
कवयित्री मशहूर बना दिया।।
नूतन कुमारी (शिक्षिका)
मध्य विद्यालय चोपड़ा बलुआ
डगरुआ,पूर्णियाँ, बिहार
