मुख में राम बगल में छुरी, लानत ऐसी यारी को ।
अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।।
मानवता से मेल नहीं है, शत्रु के क्रूर विचार में।
निर्दोषों की हत्याएँ करना, नपुंसक व्यवहार में।।
ईंट का उत्तर पत्थर से हम देंगे अत्याचारी को ।
अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।।
पाक के नापाक इरादे, अब तक सहते आए हैं।
मैत्री का हाथ बढ़ाया, प्रहार हृदय पर खाए हैं।
उसकी भाषा में समझाएँ, सनकी अर्द्धकपारी को।
अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।।
पहलगाम-पुलवामा जैसे, कुकृत्य हजार किये।
युद्ध में सदा मुँह की खाई, पर पीठ पर वार किये।
अब सेना ही ठीक करेगी, असाध्य बीमारी को ।
अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।।
कश्मीर पर दावा करते हो, स्वर्ग को नर्क बना डाला।
आतंक ने ही डँसा तुझे, स्वयं दूध पिला पाला,
बिना जल तड़पकर मरने दो, मौत के व्यापारी को ।
अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।।
थर-थर काँप रहा आतंकी, तेवर देख भारत का।
सेना का अब कौशल देखो, संघर्ष में महारत का।।
अब रोना रोओगे तुम भी, विवश हो लाचारी को ।
अब भारतीय नहीं सहेंगे, दुश्मन की गद्दारी को ।।
रत्ना प्रिया – शिक्षिका (11 – 12)
उच्च माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
चंडी ,नालंदा
