दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

 

मन में सोच-विचार कर, करिए नव संकल्प।
जीवन में सद्भावना, कभी नहीं हो अल्प।

दान-पुण्य की भावना, हो जीवन का मर्म।
कष्ट मिटाकर दीन का, करिए सुंदर कर्म।।

भरें न बच्चों में कभी, निंदित कलुषित बात।
नैतिक सौम्य विचार की, भरें श्रेष्ठ सौगात।

जैसा चिंतन आपका, वैसी सुंदर नीति।
श्रेष्ठ कर्म का बल मिले, बढ़े प्रीति की रीति।।

बाल-विवाह विमुक्ति का, चले सदा अभियान।
उम्र अठारह वर्ष हों, रखिए इसका ध्यान।।

बाल-विवाह कुरीति है, फैलाएँ संदेश।
बच्चों की शिक्षा लिए, हो सुंदर परिवेश।।

बाल-विवाह रिवाज का, मिलकर करें निदान।
अलख जगाकर हम सभी, रखें बचाएँ मान।।

खातिर नारी-शक्ति हित, करिए ऐसा काम।
बाल-विवाह रिवाज़ पर, लगे तुरंत लगाम।।

कानूनी अपराध है, बाल-विवाह रिवाज़।
जन में भागीदार ला, करिए खत्म समाज।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

 

 

 

 

 

 

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