दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

गौरव का यह है दिवस, भारत का गणतंत्र।
समरसता का भाव ही, दिव्य मूल है मंत्र।।

भारत प्यारा देश है, लिखित विधान विशाल।
चलें नियम कानून से, होगा ऊँचा भाल।।

आएँ हम गणतंत्र का, सार बताएँ आज।
शांति और सद्भाव से, बनते सभ्य समाज।।

गण में हो यदि तंत्र का, कुशल क्षेम व्यवहार।
देश तभी आगे बढ़े, बने अमन-आधार।।

फूल खिलाएँ प्रेम का, रखें न मन में शूल।
द्वेष कपट को हम सभी, मन से जाएँ भूल।।

सुखद ललित गणतंत्र में, छल का रहे अभाव।
प्रेम लगन की भावना, करें नहीं अलगाव।।

गण का हो गर तंत्र में, सुनियोजित अधिकार।
मानें तभी विकास की, बहे सुखद रसधार।।

दिवस जान गणतंत्र का, करिए मन लालित्य।
मातृभूमि पर ज्योति शुभ, फैलाता आदित्य।।

देवकांत मिश्र’दिव्य’मध्य विद्यालय धवलपुरा,
सुलतानगंज,भागलपुर,बिहार

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