नमन दधीचि – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

Snehlata

नमन दधीचि!

बरगद का पेड़!
वर्षोँ से खड़ा ,
वसन्तों पतझडों का साक्षी,
धरती से करता प्यार,
धूप से बचाता,
देता शीतल छाया ।

बरगद घर की बरामदे से,
निहारता अपनी दलान,
खेत खलिहान , घर मचान,
ओत प्रोत अनन्य राग से,
भूत के लम्हों के निशान।

खेलती रहीं पीढ़ियाँ,इस आँगन में,
धूल से सने बच्चे,अल्हड़ मस्त निर्विकार।
कूदते स्वतः आ जाते,आलिंगन को,
गोद में, अविरल मोह रसधार।

बीत गया वक्त, यादें शेष,
अंतर्मन का आनंद अशेष।
फिर उम्र की ढलान,
शरीर होता असहाय,
गततिमान वक्त,
अनंत यात्रा की ओर स्वतः प्रस्थान।

वह बरगद अशेष,मेरे घर का विशेष,
बूढ़ा नहीं , गृहस्थ का सर्वस्व राग,
आस्था संस्कार और अनुराग।

दधीचि की अस्थियों से निर्मित आज,
बरगद की जरूरत कल और आज।
निश दिन जागृत चेतना का मिजाज,
नमन दधीचि का सतत प्रयास।

स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार

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