पकड़े उन्हें न बीमारी – लावणी छंद गीत – राम किशोर पाठक

पकड़े उन्हें न बीमारी – लावणी छंद गीत

आओं समझे हम नारी को, जिनकी महिमा है भारी।
सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।

इनकी जैविक संरचना है, अलग-अलग भी पुरुषों से।
मिला वरदान इनको न्यारी, तपते हुए संघर्षो से।।
माँ बनने का केवल इनको, दिया प्रकृति जिम्मेदारी।
सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०१।।

उम्र किशोरी की आती तब, तन में होता परिवर्तन।
तन को वैसी क्षमता मिलती, होता जिससे जगत सृजन।।
यही चेतना की बेला है, समझे इसको हर नारी।
सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०२।।

रक्त स्राव है होता तन से, पाँच दिवस तक मासिक यह।
सदा स्वच्छ तन रखना पड़ता, पीड़ा भी लेते हैं सह।।
लज्जा का यह विषय नहीं है, बने नहीं यह लाचारी।
सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०३।।

अब जागृति अभियान चलाकर, सबको इतना समझायें।
साधारण कपड़े छोड़ सभी, पैड सेनेटरी लायें।।
नहीं संक्रमण होता इससे, हरती दुविधा है सारी।
सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०४।।

रक्त अधिक जो तन से निकले, या हो दर्द दुसह अक्सर।
अन्य समस्या रहता कोई, कहें चिकित्सक से मिलकर।।
लोक लाज को छोड़ें हम-सब, करें स्वास्थ्य की तैयारी।
सृजन हमारा जिनसे होता, पकड़े उन्हें न बीमारी।।०५।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978

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