परीक्षा- अश्मजा प्रियदर्शिनी

Ashmaja Priyadarshini

समय का रजत रथ नित नवीन रश्मियों से युक्त बढता जाता।
जब आता परीक्षा का समय तब छूट जाता हमारा जग से नाता।
मम्मी-पापा पढाई करने को प्रेरित कर अनुशासन में हमें कसते ।
सच है महीनों मेहनत करते रहते परीक्षा के पश्चात हीं हम हँशते।
मेहनत रंग लाएगी अध्यापन के तप में तपकर हमें आगे बढना है।
माता-पिता के हसरतों को पूराकर जगत में नाम रौशन करना है।
सालभर की तपःचर्य मेहनत का एकदिन होता है कठिन इक्जाम ।
निशदिन अध्यावसाय पल्लवित पुष्पित रहते लेकर प्रभु का नाम ।
मम्मी-पापा के होते अद्भुत ज्ञान, कहते वक्त है बड़ा अनमोल।
याद करो अपनी पढाई ध्यान रखो प्राप्त करना है अपना गोल ।
बहुत खेल लिया समय न ठहरेगा,अब करलो परीक्षा की सही तैयारी।
पेन,पेंसिल, ज्योमेट्री बॉक्स,एडमिटकार्ड आदि संभालकर रखलो सारी।
नित प्रतिदिन एकाग्र अभ्यास से प्रश्नोत्तर याद सब हो जाएगा ।
निरंतर पढने की सक्रियता से प्रश्न-पत्र भी सब हल हो जाएगा ।
मम्मी मेरी हिदायत देती पहले पढना ध्यान से सारा दिया क्वेश्चन।
समय सीमा का भी ध्यान रखना पंक्चुअल और रहना अटेंशन ।
रातों की नींद उड़ जाती,खो जाता दिन का चैन परीक्षा की घड़ी न देती रिलैक्सेशन।
सामान्य जीवन को हलकान कर देता जब आ जाता इक्जामिनेशन।
रिजल्ट उम्दा आने पर हीं मना पाते हम कोई अच्छा सेलीब्रेशन।
मेहनत का परीक्षा फल मिलने पर हमें मिल पाता लोगों का कॉंगराचुलेशन।

रचनाकार: अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना,बिहार

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