प्रभु हम तुम्हें भुला न पाएँ – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

प्रभु हम तुम्हें भुला न पाएँ

सारी    उमरिया   जीवन   की ,
प्रभुजी  यूँ  ही  बीत   न जाए ,
कण कण में प्रभु आप बिराजें ,
प्रभु   हम  तुम्हें भुला   न  पाएँ ।

पाँच  तत्व से यह बनी चदरिया ,
एक   दिन   मिट्टी   में   मिल   जाए ।
छद्म   सुख   के   कारण   जगत  में ,
प्रभु  हम   तुम्हें      भुला   न    पाएँ।

स्वार्थ  की  है खान    जगत  में ,
है  सब पर  दुष्कर   माया भारी   ।
कभी  नहीं  है  शांति   यहाँ पर  ,
प्रभु एक तुम  हो  आस  हमारी ।

चक्र  जगत  में  मोह  माया का ,
है  स्वार्थ   का    यह    जमाना ।
पत्नी  , बेटा    कोई    भी     हो ,
सबका    वही    हाल     पुराना ।

मोह  बंधन  को छोड़   प्रभु जी ,
मैं   तुम्हरे    दरस      ललचाऊँ ।
हम  पर   कृपा तुम्हारी  हो   तो ,
मैं    शीघ्र   शरण    में      आऊँ ।

एक विनती  प्रभु जी सुन लो  मेरी ,
 हो   तुम     ही     भाग्य      सितारे  ।
  मिल   जाए   कृपा   तुम्हारी  जब ,
सब     विधि     उपकार       हमारे  ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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