प्रेम जहाँ पग-पग मिलता – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

प्रेम जहाँ पग-पग मिलता

देश हमारा सबसे न्यारा ,
लगता कितना प्यारा है !
जग के सारे देशों से ,
इसे प्रभु ने अधिक सँवारा है !

जग के   सारे रस्में देखें ,
पर यहाँ की नहीं कोई सानी है ।
यह धरती बड़ा उर्वर है ,
इसकी भी अलग कहानी है।

जीवन  मूल्य  यहाँ   होता ,
उसके कदर की अलग निशानी है ।
प्रेम जहाँ पग पग मिलता ,
उसकी  अलग  अलख जुबानी   है ।

नहीं कभी किसी का कुछ लेना चाहा ,,
जोर जबरदस्ती के दम  पर ।
नहीं कभी किसी का अहित करना चाहा ,
अति बेदर्दी के ग़म पर ।

आत्मीयता का शिरोमणि देश ,
प्रेम का पाठ पढ़ाता है ।
हर देशों में इसकी पहचान अलग ,
कभी नफरत नहीं सिखाता है ।

कभी नहीं संघर्षों की इच्छा ,
कभी नहीं चालाकी है ।
हरदम है सद्भाव दिलों में ,
यही   इसकी   बेबाकी  है ।

भेद विभेद का पता इसे ,
यह शास्त्रों का भी ज्ञाता है ।
गूढ़ रहस्यों  का पता इसे ,
सारे जग को भी सिखाता है ।

देश में देव देवियों की कमी नहीं ,
यहाँ पत्थर भी पूजे जाते हैं ।
हर नदी यहाँ  माता होती ,
हम प्रेम से सब कुछ पाते हैं ।

केवल इधर उधर की बात नहीं ,
सारे जग में अलग मुकाम है ।
तन मन को भी सुख देनेवाला ,
अलग सुंदर इसका पैगाम है ।

आत्मीयता का  ऐसा  समंदर ,
कहीं और जगह नहीं देखा है ।
सारे  जग  से  इसकी  जैसी  कीर्ति ,
नहीं और कहीं   भी  लेखा है ।

सुंदर सा  मुस्कान   चेहरे पर ,
यहाँ प्रेम से सब जुड़ पाते ।
काम भी अपना छोड़कर ,
दूसरों के काम में जुट जाते ।

नहीं किसी से है मुकाबला ,
इसकी शान भी बिल्कुल अलग है ।
यहाँ अस्थि भी दान दी जाती ,
यहाँ की परंपरा बिल्कुल विलग है ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

1 Likes
Spread the love

Leave a Reply