तोहर माथे में मुकुट गले हार सोहे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।
कर में कंगन सोहे भाल सोहे बिंदिया,
असुरों के देख तोहे आवे नहीं निंदिया।
तोहर अंग–अंग सोलहो सिंगार सोहे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
जहां–जहां देखूं तोहर सुंदर रे मूरतिया,
श्रद्धा, धूप–दीप से उतारूं रे आरतिया।
शेरावाली मैया शेर पर सवार सोहे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
हमरा पर दिखाबs माई आपन पिरितिया,
एक बार दिखादs अप्पन मोहनी मुरतिया।
तोहर छवि सबके मन बार–बार मोहे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
जब–जब आवे माई तोहर शुभ दिनमा,
तब रम जाई हम्मर मन तोर चरणमा।
पापी पुत्र खातिर दिल में दुलार सोहे ला।
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
जे भी सच्चे मन से आवे मैया के शरणिया,
अक्षत, चंदन, फुल चढ़ाबे तोर चरणिया।
ओकर जीवन में नया चमत्कार होबे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
तोहर माथे में मुकुट गले हार सोहे ला,
माई दसों हाथ तोहर हथियार सोहे ला।।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’,
म.वि. बख्तियारपुर,
पटना, बिहार