भारत का अभिमान तिरंगा।
हम तो हैं उस देश के वासी,
जहाँ बहती नित्य पावन गंगा।।
उत्तर में है खड़ा हिमालय,
दक्षिण में सागर लहराए।
पश्चिम में गुजरात मराठा,
है पूर्व में बिहार और बंगा।।
दोस्ती का जो हाथ बढ़ाते,
आगे बढ़कर हम गले लगाते,
धूल में दुश्मन मिल जाते हैं,
जो हमसे लेते हैं पंगा।।
मिलने आता जो दीन-दुखी है,
पास आकर हो जाता सुखी है।
सारे दर्द गम मिट जाते हैं,
पल भर में हो जाता चंगा।।
यहाँ न कोई ऊँचा-नीचा,
बापू ने इसे खून से सींचा।
हम अमन के रखवाले हैं,
यहाँ न होता कोई दंगा।।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
मध्य विद्यालय बख्तियारपुर, पटना
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