मंजिल हीं एक ठिकाना है – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

Snehlata

मंजिल ही एक ठिकाना है

मंजिल तक हमको जाना है

चलना तो एक बहाना है,
मंजिल ही एक ठिकाना है।
पैरों के छाले मत देखो,
मंजिल तक हमको जाना है।

चलना तो एक बहाना है..

नित नया सबेरा आता है,
मन यौवन फिर लहराता है।
न है परवाह अब बाधा की,
मंजिल तक हमको जाना है।

चलना तो एक बहाना है..

विश्राम कहाँ, आराम कहाँ,
गति ही जीवन अब श्रांत कहाँ।
रुकना निज धर्म नहीं सुन लो,
मंजिल तक हमको जाना है।

चलना तो एक बहाना है..

संकट कितना भी गहरा हो,
क्यों न गहनतम पहरा हो।
हमसबनें मिलकर ठाना है,
मंजिल तक हमको जाना है।

चलना तो एक बहाना है..

सुन जीत हमारी पक्की है,
चलने की धुन तो सच्ची है।
विजयी प्रयाण हमारा है,
मंजिल तक हमको जाना है।

चलना तो एक बहाना है..

डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार

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