मनु के दोहे- मनु रमण चेतना

Manu Raman Chetna

रामनवमी विशेष

मनु शतरूपा तप किये, ध्यान धरे वह ईश।
बोलो क्या वर दूं तुम्हें, प्रकट हुए जगदीश।।

सोना चांदी कुछ नहीं,नहीं रतन धन खान ।
तुम जैसा हीं पुत्र हो, मेरे कृपानिधान ।।

भारत का श्री खंड वो, अवधपुरी है नाम।
दशरथ जी राजा यहाँ, करे प्रजा हित काम ।।

चैत्र महिना शुक्ल पक्ष, राम लिए अवतार।
मंगलमय सब घर हुआ, देव किया जयकार।।

राम, लखन,सह रिपुदमन , सेवक भरतकुमार ।
दुनियाँ करती है सदा, इनकी जयजयकार।।

मर्यादा , सुख त्याग का, सुन्दर अनुपम रूप ।
राजाओं में श्रेष्ठ हैं, राम सकल गुण भूप ।।

संकट में दृढ़ हो सदा, काम करे रख धीर ।
प्रेरणा दे रही सदा, रघुवर की तस्वीर।।

राम कथा जो भी सुनै, बन जाए सब काम।
चौदह इन्द्रिन बस करै, निज घर पावै राम।।

राम चरित जो भी पढै, मन से हटे विकार ।
नवधाभक्ति मिले उसे, जो जाय गुरूद्वार ।।

“मनु” प्रीति कर राम से, त्याग सकल संसार।
राम बिना कोई नहीं, नैया खेवनहार।।

स्वरचित :-
मनु रमण चेतना
पूर्णियाँ बिहार ।

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