(दोहा छंद)
मानवता का हित करें, चलें नेम आचार।
दीन दुखी से प्रेम हो, करिये पर उपकार।।
क्रोध अगर कोई करे, पास न जाएं आप।
मीठी वाणी बोलकर, हरिये फिर संताप।।
मानवता का हित करें, चलिए सच की राह
राह कठिन सच है भले,पूरी होगी चाह।।
मात – पिता को कष्ट दे , करें न गुरु का मान।
ऐसे नर का हे सखे, कैसे हो कल्याण।।
पर स्त्री पर पुरूष गमन, होता है व्यभिचार।
पंच पाप का त्याग कर, यही धर्म आधार।।
सदाचार की राह में,कांटे होंगे मीत।
दर्द भले हमको मिले, फिर भी होगी जीत।।
सबसे ऊपर देश है, करें देश का गान।
राष्ट्रभक्ति में दे दिया, वीरों ने बलिदान।।
स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका, मध्य विद्यालय सुरीगाँव, बायसी पूर्णियाँ,बिहार
1 Likes
