सपनों की ऊँचाई छूने को,
हौसलों का दीप जलाने को,
अभी कहाँ ठहरना है पथ में?
अभी सफर अधूरा है मन में,
मुझे और चढ़ना है गगन में।
नहीं डरूंगा आँधियों से मैं,
न ही झुकूंगा बाधाओं से,
मुश्किल जो भी आएगी राह में,
हर मुश्किल को जीत लूँगा,
मुझे और चढ़ना है गगन में।
सपनों की ऊँचाई तक जाने में,
अगर गिरूँ फिर उठूँगा,
हर ठोकर से निखरूँगा।
नई कहानी कह जाउँगा,
आसमान भी झुककर मुझसे मान करेगी।
मुझे और चढ़ना है गगन में।
जब तक साँसें थक न जाये,
उड़ान मेरी निरंतर होगी,
हौसलों की लौ जलाकर,
मैं अपनी मंज़िल पा जाऊँगा।
मुझे और चढ़ना है गगन में।
गौतम कुमार
मध्य विद्यालय भरसो, खगड़िया, बिहार
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