“मेरे पिता ”
कभी अभिमान हैं तो, कभी अरमान हैं पिता,
कभी धरती हैं तो, कभी आसमान हैं पिता ।
जन्म दिया है , अगर माँ ने हमको,
फिर भी जग में, हमारी पहचान है पिता ।
मेरा साहस, मेरी इज्जत, मेरे तो सम्मान हैं पिता,
मेरी ताकत, मेरी पूँजी, मेरे तो जहान है पिता ।
मुझे हिम्मत देने वाले, मेरे अभिमान है पिता,
यूँ कहें कि, सारे घर की जान हैं पिता ।
जग में जो कुछ भी, पाया है हमने उनसे,
मेरे लिए तो, भगवान के समान हैं पिता।
उनसे ही मेरी, दुनिया सारी है,
दुनिया के सबसे नेक इंसान हैं पिता।
आशीष अम्बर
विशिष्ट शिक्षक
उत्कमित मध्य विद्यालय धनुषी
प्रखंड – केवटी
जिला – दरभंगा
बिहार
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