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आज है वीर बाल दिवस का दिन
आज का दिन है बड़ा महान,
आज हीं दो छोटे-छोटे बालक
हँसते-हँसते दी वो अपनी जान। -
एक का नाम था जोरावर सिंह
दूसरे का नाम फतेह सिंह था,
इन दोनों के पिता का नाम
दसवें गुरु गोविंद सिंह जी
था। -
दादाजी का नाम तेग बहादुर
दादी का नाम गुजरी देवी था
जीतो देवी माता का नाम
जिसने दोनों को जन्म दिया। -
चार पुत्र गुरु गोविंद जी को
था
दो बड़े दो छोटे थे,
एक छोटे सात साल के
एक पाँच वर्ष के थे। -
एक बार क्रूर औरंगजेब ने
आनंद पुर में युद्ध छेड़ा,
गुरु गोविंद सिंह को बुलाकर
उसे अपना मुल्क छोड़ने को
कहा। -
मान गए गुरु गोविंद सिंह जी
उस क्रूर औरंगजेब की बात,
अपना मुल्क छोड़ निकल पड़े
अपने पूरे परिवार के साथ। -
जैसे हीं कुछ दूर बढ़े
कर रहे थे नदी वो पार,
इसी बीच क्रूर औरंगजेब ने
पीछे से कर दिया उनपर वार
। -
दो नाव पर बैठे थे
गुरु गोविंद सिंह जी के पूरे
परिवार,
उस आनंद पुर के युद्ध में
बिछड़ गए पूरे परिवार। -
बिछड़े दोनों बड़े बेटे
और बिछड़े माता और पिता,
गुजरी देवी दादी के साथ में थे
गुरु गोविंद सिंह जी के दोनों
छोटा बेटा। -
भटकते दादी पोते को
रास्ते में मिला गंगू ब्राह्मण,
पहचान लिया दादी पोते को
बोला चलिए मेरे घर मेरे
साथ। -
दस साल तक गंगू ब्राह्मण
गुरु गोविन्द सिंह के यहाँ
निभाया था रसोईया का
किरदार,
यही सोचकर चली गई दादी
उस रसोइया गंगू ब्राह्मण के
साथ। -
दादी के हाथ में था सोने का
सिक्का
देखा गंगू आया मन में बुरा
विचार,
छीन लिया सब सिक्का दुष्ट
लालची
दादी पोते को भेजवा दिया
सरहिंद के नबाव वजीर
खान के पास। -
सरहिंद के नबाव उन तीनों
को मुरेंडा के जेल में रखा
सुबह होने का करने लगा
इंतजार,
रात भर दादी सुनाती रही पोते
को
उसके वीर दादा वीर पिता की
बात। -
बोली दादी हम जो कहे हैं
ध्यान में रखना मेरी बात,
कितनों संकट अगर आ जाए
झुकने न देना अपना माथ। -
सुबह हुई क्रूर वजीर खान ने
पास बुला कर किया उन
दोनों बच्चों से बात,
तीन मौका हम देते हैं तुमको
इस्लाम कबूल कर आ जाओ
मेरे पास। -
उस क्रूर वजीर खान से
बोला
निडर होकर दोनों भाई बोला
एक साथ,
चाहे मेरी जान क्यूँ न जाए
नहीं बदलेंगे हम अपनी
जात। -
तेग बहादुर जी के हम हैं
पोते
गुरु गोविंद सिंह जी हैं मेरे
बाप,
तुम कितनी बार भी कहलो
नहीं मानेंगे हम तेरी बात। -
दोनों भाइयों की बात
सुनकर क्रूर ने
मँगा लिया दो जल्लाद,
दोनों भाइयों को खड़ा
करवाकर
चुना दिया वो दिवार। -
निडर होकर दोनों भाई ने
दे दी हँसते-हँसते अपनी
जान,
उस क्रूर को खुदा माफ न
करना
सदा बना रहेगा वह शैतान। -
हे भारत देश वीर बालक
हमसब करते हैं शत् शत् बार
प्रणाम,
जबतक सूरज चाँद रहेगा
अमर रहेगा आप दोनों का
नाम।
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नीतू रानी पूर्णियां बिहार।
स्वरचित रचना।
वीर बाल दिवस-नीतू रानी
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