संसार के असली मर्म – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

कोई  भी कुछ कह  ले सुन ले ,
इस दुनिया में कोई नहीं रह पाया है ।
जो इस  मृत्यु भुवन आया  वंदे ,
कभी चैन नहीं रह पाया है ।

अपनों से गिला शिकवा है सबको ,
पर तेरे लिए अपना  मीत नहीं  ।
यहाँ से  जाने के अनजाने  डगर  में ,
तेरे साथ देने की   कोई रीत  नहीं  ।

नियति में  जो लिखा है प्यारे ,
वही तो एक दिन होता है ।
कितना काल प्रबल होता ,
यह  अंत समय ही दिखता  है ।

सपने रह जाते सपने ही ,
सब सूना सा हो जाता है ।
कोई नहीं इस जग में वंदे ,
सब  मुँह अपना मोड़  जाता है ।

सगे संबंधी हैं जितने भी ,
वे कुछ भी न कर पाते हैं ।
काल बली है इस जग में ,
सब लोग यही तो समझाते हैं।

जिंदगी में बने  रहने पर ,
सगे संबंधी भी साथ अड़े होते ।
संसार से विदा होते ही ,
वे भी सीधे भाग खड़े होते ।

अब मतलब नहीं किसी को तुमसे ,
अब सब हैं मतलब    फेर लिए ।
नियति का केवल  दोष देकर ,
अब साथ नहीं कभी   तेरे  लिए ।

जिंदगी में यह हरदम सीखो ,
न  कभी गलत कर्म किया करना ।
अपनी संतान के  खातिर  भी ,
कभी अधर्म की राहें  मत चलना ।

जिंदगी एक बार मिली है तुझको ,
सदुपयोग सदा इसका करना ।
कभी दुराग्रह कभी लालच में ,
दुरुपयोग नहीं  इसका करना ।

कर्म प्रधान यह मानव तन ,
भटकाव में  कभी न पग रखना ।
सच्चे दिल से कर्म करो औ
दया भाव भी साथ रखना ।

जिंदगी जब तक जियो  यहाँ पर ,
सद्भाव जनित व्यवहार  करना।
 किसी बात  के लिए कहीं तनिक  भी ,
न क्रोध    कभी  प्रकट  करना ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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