कोई भी कुछ कह ले सुन ले ,
इस दुनिया में कोई नहीं रह पाया है ।
जो इस मृत्यु भुवन आया वंदे ,
कभी चैन नहीं रह पाया है ।
अपनों से गिला शिकवा है सबको ,
पर तेरे लिए अपना मीत नहीं ।
यहाँ से जाने के अनजाने डगर में ,
तेरे साथ देने की कोई रीत नहीं ।
नियति में जो लिखा है प्यारे ,
वही तो एक दिन होता है ।
कितना काल प्रबल होता ,
यह अंत समय ही दिखता है ।
सपने रह जाते सपने ही ,
सब सूना सा हो जाता है ।
कोई नहीं इस जग में वंदे ,
सब मुँह अपना मोड़ जाता है ।
सगे संबंधी हैं जितने भी ,
वे कुछ भी न कर पाते हैं ।
काल बली है इस जग में ,
सब लोग यही तो समझाते हैं।
जिंदगी में बने रहने पर ,
सगे संबंधी भी साथ अड़े होते ।
संसार से विदा होते ही ,
वे भी सीधे भाग खड़े होते ।
अब मतलब नहीं किसी को तुमसे ,
अब सब हैं मतलब फेर लिए ।
नियति का केवल दोष देकर ,
अब साथ नहीं कभी तेरे लिए ।
जिंदगी में यह हरदम सीखो ,
न कभी गलत कर्म किया करना ।
अपनी संतान के खातिर भी ,
कभी अधर्म की राहें मत चलना ।
जिंदगी एक बार मिली है तुझको ,
सदुपयोग सदा इसका करना ।
कभी दुराग्रह कभी लालच में ,
दुरुपयोग नहीं इसका करना ।
कर्म प्रधान यह मानव तन ,
भटकाव में कभी न पग रखना ।
सच्चे दिल से कर्म करो औ
दया भाव भी साथ रखना ।
जिंदगी जब तक जियो यहाँ पर ,
सद्भाव जनित व्यवहार करना।
किसी बात के लिए कहीं तनिक भी ,
न क्रोध कभी प्रकट करना ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
