मात्रा – 19
122 122 122 121
बहाओ सदा प्रेम भरकर समीर ।
मिटाओ अँधेरा गये कह कबीर ।।
जलो दीप जैसा करो तुम प्रकाश ।
न टूटे कभी प्रेम की आज आश ।।
हँसो और मन में खिलाओ प्रसून ।
बहे भूलकर भी किसी का न खून ।।
उठाओ गिरे को करो अब न देर ।
धरो हाथ उनका करो मत अबेर ।।
न कोई रहे आज दुश्मन समान ।
तनी अब रहे क्यों नजर की कमान ।।
उठे आज दिल से यही बस पुकार ।
न जाए कहीं अब यहाँ से बहार ।।
सुधीर कुमार , मध्य विद्यालय शीशागाछी
प्रखंड टेढ़ागाछ , जिला किशनगंज , बिहार
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